पंजाब में कांग्रेस को AAP से गठबंधन पर सता रहा इस बात का डर, हाईकमान की मीटिंग में बड़ी वजह आई सामने
Lok Sabha Election 2024
चंडीगढ़। Lok Sabha Election 2024: पंजाब कांग्रेस का राज्य नेतृत्व किसी भी रूप में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी से लोकसभा चुनाव में समझौता नहीं करना चाहता। पार्टी को डर है कि इससे पार्टी का वोट बैंक खिसक सकता है और इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि चुनाव के बाद यह हमारे पास वापस आ जाएगा। यह डर आज उस चर्चा में सामने आया जब पार्टी के प्रदेश नेतृत्व, सांसद और वरिष्ठ नेताओं के बीच दिल्ली में बात हुई।
कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) आइएनडीआइए के घटक दल हैं और इन दिनों घटक दलों के बीच लोकसभा की सीटों को लेकर चर्चा चल रही है, लेकिन पंजाब कांग्रेस संगठन से जुड़े नेता आप से गठबंधन नहीं चाहते। लोकसभा चुनाव के लिए आप से गठबंधन किया जाए या नहीं? इस पर राय लेने के लिए कांग्रेस के संगठन महामंत्री केसी वेणुगोपाल ने बुधवार को दिल्ली में पंजाब के पार्टी सांसदों की बैठक बुलाई थी, जिसमें सांसदों के अलावा प्रदेश अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग, कार्यकारी अध्यक्ष भारत भूषण आशु व नेता प्रतिपक्ष प्रताप सिंह बाजवा भी शामिल थे।
सभी ने अपनी-अपनी राय गठबंधन को लेकर रखी। जहां सांसदों का एक बड़ा धड़ा यह चाहता था कि दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन हो, वहीं प्रांतीय लीडरशिप का कहना था कि इस समय आम आदमी पार्टी प्रदेश में सरकार चला रही है और जिस तरह से 2022 विधानसभा चुनाव में पार्टी को 72 प्रतिशत वोट शेयर मिला था, वह संगरूर लोकसभा उपचुनाव में 50 प्रतिशत और जालंधर उपचुनाव में 34 प्रतिशत तक आ गया है जबकि कांग्रेस का वोट शेयर 15 से बढ़कर 28 प्रतिशत हो गया।
सत्तारूढ़ पार्टी लोगों की अपेक्षाओं पर खरा न उतरने के कारण दिन-ब-दिन नीचे जा रही है और प्रमुख विपक्षी दल होने के कारण इसका फायदा कांग्रेस को होगा, लेकिन यदि पार्टी ने आप से समझौता कर लिया तो जहां पार्टी का वोट बैंक भी निराश होकर भाजपा या अकाली दल को चला जाएगा, वहीं आप से नाराज लोग भी अकाली दल और भाजपा की ओर चले जाएंगे।
अकाली दल और भाजपा का गठबंधन से कांग्रेस को लाभ...
पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने तो यहां तक भी कहा कि पिछले दो लोकसभा चुनाव में बेशक पूरा देश एक तरह होकर भाजपा को वोट दे रहा था, लेकिन पंजाब इसके खिलाफ रहा है। उन्होंने कहा कि अगर अकाली दल और भाजपा का गठबंधन हो भी जाता है तो भी इसका लाभ कांग्रेस को ही होगा, क्योंकि तीन कृषि कानूनों को लेकर भाजपा के गठबंधन से अलग हुए अकाली दल से भी वोटर नाराज हैं। यह भी कहा गया है कि भाजपा अब अकाली दल से समझौते में छह सीटें चाहती है। बैठक में यह भी तय हुआ है कि पार्टी हर सीट का सर्वे करवाएगी और यह भी देखेगी कि किस सीट पर कांग्रेस सशक्त है और किस सीट पर कोई और पार्टी।
यह पढ़ें:
‘‘फूड सेफ्टी ऑन व्हील्ज़’’; बलबीर सिंह ने मोबाइल फूड टेस्टिंग वैन को दिखाई हरी झंडी